बंगाल में शिक्षक भर्ती में भारी भ्रष्टाचार के सबूतों के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को हटाकर स्थिति संभालने की कोशिश जरूर की है लेकिन केंद्र से उन्हें याद दिलाया गया है कि राज्य में शिक्षा की स्थिति को कभी गंभीरता से लिया ही नहीं गया। बिना कोई आरोप लगाए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने दीदी के नाम से संबोधन में चिट्ठी लिखकर ममता से आग्रह किया है कि प्रदेश में लोगों का विश्वास बहाल करने के लिए उचित कदम उठाएं।
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बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ उचित नहीं है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार हर मदद करेगी। इस मामले में बुधवार को कोर्ट भी निर्णय सुना सकता है। पार्थ चटर्जी के खिलाफ जांच एजेंसियों ने ढेरों सुबूत इकट्ठे कर लिए हैं। वहीं प्रदेश भाजपा का आरोप है कि पार्थ दरअसल प्यादे थे, असली खेल राज्य सरकार में ऊपर से चल रहा था।
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इसी बीच प्रधान ने भी चिट्ठी लिखकर बताया है कि राज्य में शिक्षा भर्ती में भारी अनियमितता की शिकायतें आ रही हैं। शिक्षक देश के भविष्य का निर्माण करते हैं लेकिन बंगाल में उनका मनोबल टूट गया है। लोगों के विश्वास को धक्का लगा।
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शिक्षकों के चयन के लिए 2014 में राज्य स्तरीय चयन परीक्षा की शुरूआत हुई थी लेकिन नियुक्ति दो साल बाद 2016 से शुरू हुई। ग्रुप सी और डी की भर्ती में शिकायतों का अंबार है।
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शिक्षकों की गुणवत्ता के साथ इस तरह का समझौता बड़ी चिंता का विषय है।प्रधान का पत्र इस लिहाज से महत्वपूर्ण है क्योंकि ममता सरकार का प्रतिनिधि केंद्र सरकार की ओर से बुलाई गई बैठकों से अक्सर गैरहाजिर रहता है। परीक्षा पैटर्न को लेकर हुई बैठक में भी बंगाल ने हिस्सा नहीं लिया था जबकि देश के सभी राज्यों से प्रतिनिधि आए थे। नई शिक्षा नीति को बड़े बदलाव की नींव के रूप में देखा जा रहा है लेकिन बंगाल ने उसे भी नहीं माना और अलग से एक कमेटी बना दी।