प्रदेश मंत्रिपरिषद की बैठक में 55 प्रस्तावों का अनुमोदन किया गया है। वैसे तो ये सभी प्रस्ताव राज्य में विकास को गति देने वाले हैं, लेकिन दो निर्णय महत्वपूर्ण हैं। सौ आकांक्षात्मक विकास खंडों में सौ ऐसे युवाओं को फेलोशिप दी जाएगी जो वहां रहकर नूतन दृष्टि से संबंधित क्षेत्र के विकास की रूपरेखा बनाएंगे। उन्हें मानदेय भी दिया जाएगा। बुंदेलखंड के सात जिलों के 47 विकासखंडों में प्राकृतिक खेती की जाएगी। हर ब्लाक में 50-50 हेक्टेयर के 10-10 क्लस्टर बनाए जाएंगे। 470 क्लस्टर बनाकर कुल 23,500 हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्राकृतिक खेती की जाएगी।
अमूमन देखने में आता है कि बड़ी परियोजनाएं विकास में मात्रत्मक रूप से तो योगदान करती हैं, किंतु लाभ सीमांत क्षेत्र अथवा वर्गो तक नहीं पहुंचता। योगी सरकार ने पहले कार्यकाल में ‘एक जिला एक उत्पाद’ योजना के जरिये यह प्रमाणित करने का प्रयास किया कि छोटी पहल से भी बड़े परिवर्तन का ताना-बाना बुना जा सकता है। केंद्र सरकार के सौ आकांक्षात्मक जिलों की तर्ज पर सौ आकांक्षात्मक विकासखंडों का चयन ऐसी ही पहल है। युवाओं को इससे जोड़ने का लाभ उन्हें अस्थायी रोजगार के तौर पर तो मिलेगा ही, उनकी ऊर्जा, तकनीक व नए दृष्टिकोण का भी फायदा मिलेगा। वह योजनाओं का सर्वेक्षण, अध्ययन, प्राथमिक आंकड़ों का संकलन, निगरानी, योजनाओं के संचालन में आ रही चुनौतियों के निराकरण सहित सुझाव भी देंगे कि योजनाओं का लाभ आम आदमी को कैसे मिल सकता है। इससे सरकार को योजनाएं बनाने और उनके क्रियान्वयन में सफलता मिलेगी। प्राकृतिक खेती के लिए भी किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए संबंधित विशेषज्ञ की उपलब्धता आसान कराने की तैयारी है। योजना से जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में सहायता तो मिलेगी ही, बुंदेलखंड में निराश्रित पशुओं की समस्या का समाधान भी होगा। खेती की लागत में कमी आएगी साथ ही किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी।
राज्य कर्मचारियों के हित में सरकार ने दो बड़े निर्णय लिए हैं। लगभग 22 लाख कर्मचारियों और उनके परिवारों को साल भर में पांच लाख रुपये के कैशलेस इलाज की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही उन्हें तीन प्रतिशत महंगाई भत्ता देने का निर्णय भी किया गया है। अभी तक अपने परिवार वालों के इलाज के लिए कर्मचारियों को नाना प्रकार की परेशानियों से दो-चार होना पड़ता था। सेवानिवृत्त होने के बाद कर्मचारी खुद या परिवार के सदस्यों के बीमार होने पर आर्थिक दुश्वारियों से त्रस्त रहते थे। कई बार उन्हें कर्ज तक लेना पड़ता था। सरकार के कैशलेस इलाज के निर्णय से अब इस बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कैशलेस इलाज की व्यवस्था से बड़े निजी अस्पतालों में भी उपचार कराया जा सकेगा, जिनमें मरीजों का दाखिला कराने के बारे में सोचकर ही पेशानी पर बल पड़ जाते थे। उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड से पंजीकृत 55 लाख निर्माण श्रमिकों को भी आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना और मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना का लाभ देने का निर्णय किया गया है। वह एक साल में पांच लाख रुपये तक का निश्शुल्क इलाज करा सकेंगे।
राज्य कर्मचारी जनवरी से ही महंगाई भत्ते का इंतजार कर रहे थे। अब उन्हें 31 की बजाय 34 प्रतिशत भत्ता मिलेगा। राज्य सरकार के इन दो फैसलों ने कर्मचारियों में उल्लास पैदा कर दिया है।
सस्ती बिजली : नि:शुल्क बिजली कनेक्शन और अब गरीबों के घर में उजियारे के लिए सरकार ने खजाना खोल दिया है। सरकार साढ़े छह रुपये यूनिट वाली बिजली पर गरीबों को साढ़े ती रुपये प्रति यूनिट सब्सिडी देगी। 54 प्रतिशत तक अनुदान देने से गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों को बिजली तीन रुपये प्रति यूनिट ही पड़ेगी। सिंचाई के लिए सस्ती बिजली उपलब्ध कराने की खातिर निजी नलकूप पर प्रति हार्सपावर 550 रुपये प्रतिमाह सब्सिडी देने की घोषणा सरकार का महत्वपूर्ण कदम है।