कमलनाथ को सोनिया गांधी सौंपने जा रही है बड़ी जिम्मेदारी

Chief Minister of Madhya Pradesh, Kamal Nath departs after he attended the inauguration ceremony in Mumbai, India on 08 August 2019. Nath assumed the office of Chief Minister on 17 December 2018. (Photo by Himanshu Bhatt/NurPhoto via Getty Images)

केंद्र की भाजपा सरकार के विजय रथ को रोकने के लिए विपक्षी गठबंधन के ताने-बाने में कसावट जल्द ही दिख सकती है। दरअसल, 2024 के लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को लेकर कांग्रेस दिलचस्पी दिखाते हुए मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ को हिंदी भाषी राज्यों में साथी दलों के साथ समन्वय का जिम्मा सौंप सकती है। सूत्रों के मुताबिक, उन्हें पार्टी में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद दिए जाने की पेशकश भी की गई है। इससे पहले मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह भी पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी निभा चुके हैं।

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर कांग्रेस हाईकमान सौंप सकता है अन्य दलों से समन्वय की जिम्मेदारी

बंगाल में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सत्ता बचाने में कामयाब रहीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भाजपा के खिलाफ महागठबंधन की संभावनाओं को बल दे रही हैं। बीते पखवाड़े उनके दिल्ली प्रवास को इसी से जोड़कर देखा गया था। हालांकि, क्षेत्रीय दलों के बीच कांग्रेस को लेकर सहज भाव का आकलन किया जा रहा है। इसके सकारात्मक होने पर ही महागठबंधन की कोशिशें परवान चढ़ेंगी, जिसकी जिम्मेदारी कमल नाथ को सौंपे जाने की काफी संभावना है। कांग्रेस हाईकमान द्वारा अगले सप्ताह सभी दलों के नेताओं को दिए जा रहे डिनर में इसकी झलक दिखाई दे सकती है।

इसलिए कमल नाथ ही

दरअसल, कमल नाथ के गैर एनडीए दलों के प्रमुख नेताओं से व्यक्तिगत संबंध हैं। शरद पवार, ममता बनर्जी जैसे उन नेताओं से भी उनकी नजदीकी रही है। ये नेता कभी कांग्रेस में थे, लेकिन अब अलग पार्टी स्थापित कर चुके हैं। वरिष्ठता के चलते भी कमल नाथ समन्वय के मामलों में माहिर माने जाते हैं। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद को लेकर असंतुष्ट नेताओं के गुट जी-23 को भी मनाने में कमल नाथ की भूमिका रही है। इसके अलावा उद्योग जगत में भी उनकी अच्छी पकड़ है।

सूत्र बताते हैं कि कमल नाथ को समन्वय के साथ पंजाब, बंगाल के अलावा कुछ हिंदी भाषी राज्यों का प्रभार दिया जा सकता है। मध्य प्रदेश में बने रहेंगे कांग्रेस का चेहराकेंद्रीय संगठन और संभावित महागठबंधन में समन्वय की जिम्मेदारी के साथ ही कमल नाथ मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस का चेहरा बने रहेंगे। साथ ही मध्य प्रदेश के 2023 के विधानसभा चुनाव में भी पार्टी का नेतृत्व कर सकते हैं।

मध्य प्रदेश या केंद्र की राजनीति के सवाल पर वे कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि वह प्रदेश नहीं छोड़ने वाले हैं। 2018 में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी, लेकिन वह 15 महीने ही चल पाई, इसलिए वे 2023 में सत्ता वापसी के इरादे से कांग्रेस संगठन को नए सिरे से मजबूत कर रहे हैं। हालांकि, ये भी किसी से छिपा नहीं है कि कमल नाथ सत्ता गंवाने के लिए कथित रूप से जिम्मेदार ज्योतिरादित्य सिंधिया से सियासी अदावत का हिसाब चुकता करने का इरादा रखते हैं।

कमल नाथ का कद राष्ट्रीय स्तर का है। निसंदेह उनकी भूमिका राष्ट्रीय राजनीति को ही समर्पित रही है। बावजूद इसके वह पूरी तरह मध्य प्रदेश में ही रहेंगे। यहीं से राष्ट्रीय और प्रादेशिक राजनीति को संचालित कर एक बार फिर मुख्यमंत्री बनेंगे।

– केके मिश्रा, महासचिव (मीडिया), मध्य प्रदेश कांग्रेस