इंटर्नशिप एक ऐसा फेज है, जहां पर छात्र छात्राओं को अपनी स्किल्स को उभारने का मौका मिलता है और उनके भविष्य के रास्ते खुलते हैं. हालांकि, कालेज के दौरान ज्यादातर युवा इंटर्नशिप (Internship) को गंभीरता से नहीं लेते हैं और इसे बस एक प्रोजेक्ट (Project) के रूप में देखते हैं जो उन्हें कॉलेज (College) में सबमिट करना होता है. आमतौर पर कॉलेज के फाइनल ईयर में या 2 सेमेस्टर पहले छात्र-छात्राओं को एक या 2 महीने की इंटर्नशिप करने का प्रोजेक्ट दिया जाता है. अगर इस इंटर्नशिप पीरियड को आप सीरियसली ले लें और इन टिप्स को फॉलो करें तो आप भविष्य में बेहतर और अच्छी जॉब पा सकते हैं.
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इंटर्नशिप के दौरान आपको पंक्चुअल होना बहुत जरूरी है. ऑफिस (Office) में कामकाज करने के समय का ध्यान रखें. समय से ऑफिस पहुंचे और जो भी डेडलाइन आपको दी जाती है उसे समय पर या समय से पहले ही पूरा करने की कोशिश करें. इससे बॉस के ऊपर आपका इंप्रेशन अच्छा पड़ता है.
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इंटर्नशिप का मतलब सिर्फ खानापूर्ति नहीं होता है, बल्कि यह ऐसा टाइम पीरियड (Time Period) है जहां पर आपको बहुत सारी चीजें सीखने को मिलती हैं. ऐसे में किसी भी नए काम को करने से पीछे न हटें और आगे बढ़कर काम करने की कोशिश करें. ज्यादा से ज्यादा अपने सीनियर्स की मदद भी लें और अपने आइडिया भी दें.
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बॉस या सीनियर्स द्वारा आपको इंटर्नशिप के दौरान जो भी काम दिया जाए चाहे वह कितना भी चैलेंजिंग (Challenging) क्यों ना हो आप उसमें अपना बेस्ट देने की कोशिश करें. ये आपकी मेहनत और दृणता को दिखाता है कि आप एक काम को लेकर कितने गंभीर हैं.
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हो सकता है इंटर्नशिप के दौरान आपको आलोचनाओं का शिकार होना पड़े. कोई काम आपसे गलत हो जाए जिसकी वजह से आपको डांट भी पड़ जाए. लेकिन, अपनी गलतियों से सीखने की कोशिश करें और दोबारा वह गलती ना करने की सीख लेते हुए नए-नए इन्वेंशन और इनोवेशन का आईडिया देते रहें.
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इंटर्नशिप के दौरान सबसे ज्यादा जरूरी ये होता है कि आप लोगों से कितना संपर्क बना पाते हैं. आपका व्यवहार जितना अच्छा होगा लोग आपको ज्यादा समय तक याद रखेंगे और जब भी कोई वैकेंसी (Vacancy) उस कंपनी के लिए निकलेगी तो आपको पहली प्रेफरेंस दी जाएगी. ऐसे में अपने कांटेक्ट बनाने से पीछे नहीं हटे.
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