राष्ट्रपति चुनाव के दौरान कांग्रेस विधायकों द्वारा नेतृत्व के निर्देश की अनदेखी कर राजग प्रत्याशी को वोट देने का मुद्दा अभी शांत नहीं होने जा रहा है। बगावती विधायकों के सामने समस्या यह है कि उनका नेतृत्व करनेवाला कोई चेहरा खुलकर सामने नहीं आ रहा है। कहने को लोग वित्त मंत्री डा. रामेश्वर उरांव का नाम ले रहे हैं। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान द्रौपदी मुर्मू के पक्ष में उरांव के बयान को उठाकर देखा जा रहा है लेकिन बगावत करने वाले कई संदिग्ध विधायक पहले से ही उरांव को मंत्री बनाए जाने का विरोध करते रहे हैं। यह बात किसी से छिपी भी नहीं है कि कांग्रेस के आदिवासी विधायकों ने ही यशवंत सिन्हा को वोट देने की बजाय द्रौपदी मुर्मू को वोट कर दिया। माना जा रहा है कि ऐसे विधायकों पर दबाव बनाने के लिए कांग्रेस आगे कदम भी नहीं बढ़ा सकती है, ऐसा होने की स्थिति में यह गुट सशक्त होता जाएगा। पार्टी भी इंतजार कर रही है कि आखिर कौन इनका नेतृत्वकर्ता है।
दूसरी ओर, भाजपा विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी नई दिल्ली में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को अपनी रिपोर्ट सौंपकर लौट आए हैं। राज्य में सरकार के सामने तत्काल कोई संकट भले ना दिखे, आसार ठीक नहीं लग रहे हैं। इसका मूल कारण सत्ताधारी गठबंधन में शामिल कांग्रेस के विधायक ही हैं। जिन विधायकों ने नेतृत्व के निर्देशों की अनदेखी कर राजग उम्मीदवार को वोट दिए, उन्हें पार्टी नेतृत्व भी संशय की नजर से देख रहा है। ऐसे में इस बात को कतई नकारा नहीं जा सकता कि कांग्रेस के विधायक सरकार के विरुद्ध मोर्चा खोल दें। कुछ नेताओं ने बयान दिया है कि आग के बगैर धुआं नहीं हो सकता, मतलब स्पष्ट है कि पार्टी के अंदर कुछ ना कुछ चल रहा है। पार्टी के बगावती नेता अपना नाम उजागर होने से बचना भी चाहते हैं। यही कारण है कि कोई खुलकर सामने नहीं आ रहा है।
सूचना मिल रही है कि छोटे-छोटे गुटों में ये नेता आपस में बैठकें कर रणनीति बना रहे हैं और जरूरत पड़ने पर कभी भी पल्टी मार सकते हैं। दूसरी ओर, कांग्रेस नेतृत्व पूरे दिन अपने विधायकों की टोह लेने में लगा रहा। कौन-कहां जा रहा है और किससे मिल रहा है, इसकी पल-पल की रिपोर्टिंग ली जा रही है। दूसरी ओर, भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने शनिवार से लेकर रविवार की सुबह तक पार्टी के वरीय नेताओं से मुलाकात की। वे राष्ट्रपति की विदाई समारोह में समारोह में शामिल हुए और इसके बाद झारखंड के हालात से शीर्ष नेतृत्व का अवगत कराया। उन्हें राज्य में बदलते हालात पर नजर बनाए रखने का निर्देश प्राप्त हुआ है।